Saturday, August 29, 2009

कभी तो चाँद असमान से उतरे

कभी तो चाँद असमान से उतरे और आम हो जायेतेरे नाम की एक खूबसूरत शाम हो जायेअजब हालत हुए की दिल का सौदा हो गयामुहब्बत की हवेली जिस तरह नीलम हो जायेमैं खुद भी तुझसे मिलने की कोशिश नहीं करूँगाक्योंकि नहीं चाहता कोई मेरे लिए बदनाम हो जायेउजाले अपनी यादों के मेरे साथ रहने दोजाने किस गली में जिंदगी की शाम हो जाये {{AHSAS}}

No comments:

Post a Comment