Thursday, December 1, 2011

"और तुमसे क्या कहू" 


"और तुमसे क्या कहू" 
"
अभी गुस्सा और भी है"

वक़्त मेरे हाथो से फिसलता रहा रेत की तरह 
और में बस खड़ा देखता रह गया साहिल की तरह 
तिनका तिनका समेट कर जो घर बनाया था 
कतरा कतरा जलता गया दिए की तरह 

मुझ से लड़ते हो, दूर जाते हो, सताते हो,किसी अंजान की तरह 
मेरी आँखों में अश्क मेरी हालत के नही,
ये तो आहट है, कल तेरे जीवन में आने वाले तूफान की तरह 

में तो सुन जाता हु हर बात तेरी, हर सिकायत तेरी, किसी नुमाईश की तरह, 
पर सहम जाता हु सोचकर,कल कौन रखेगा ख्याल तेरा यु मेरी तरह!! 

तुम नहीं देखना चाहती हो, आज सच मेरा,मुह छुपा लेते हो बेगाने की तरह 
याद रखना मेरी बात, मेरे साथ तो जो रहेगा खुश रहेगा 
पर में जानता हु कोई तुम्हे प्यार नही दे सकता मेरी तरह!!

ये कतरा कतरा अश्क मेरी आँखों से बहते जायेगे समुन्दर की तरह,
में तो जी लूँगा,पर कल तुम्हे तुम्हारी जिंदगी भी लगेगी मौत की तरह 
में तो तुम्हे पूजता रहा भगवन की तरह 
और तुम तो चाह भी सकी मुझे इंसान की तरह 

अब बस कुछ और नही कहना कोई शिकायत नही करना 
एक गुजारिश है अब मेरी, जा रहे हो तो पलट कर मत देखना 
मेरे हाल पर आज लोग मुस्कुरा रहे है तमाशे की तरह 
लेकिन तुम याद रखना...वो सब जो मुझे अब नही कहना 

"
और तुमसे क्या कहू"
 ............................. अहसास 

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