Friday, March 22, 2013

जज़्बात पलते है...

जरा सोती हुई इन पलकों पर तुम होठ रखो तो 
मेरी आँखे बता देगी,कि अरमां भी मचलते है |

छलकते नूर से पूछो, जिसे तुम अश्क कहते हो
कि कैसे 'सागर' में भी लहरों के जज्बात पलते है
|
...अहसास 

No comments:

Post a Comment