हाथ में हाथ की हो हरारत तो इश्क़ बनता है
मौजूद हो दरमियाँ शरारत तो इश्क़ बनता है
मौजूद हो दरमियाँ शरारत तो इश्क़ बनता है
आग उधर भी लगी हो और तुम भी सुलगो
इश्क़ को इश्क़ की हो आदत तो इश्क़ बनता है
इश्क़ को इश्क़ की हो आदत तो इश्क़ बनता है
गवाह हों सिलवटें जब शब् के कश्मकश की
न मिले कहीं भी राहत तो इश्क़ बनता है
न मिले कहीं भी राहत तो इश्क़ बनता है
फ़र्क़ कुछ न रहे महबूब और खुदा में तेरे
जब करो उसकी इबादत तो इश्क़ बनता है
जब करो उसकी इबादत तो इश्क़ बनता है
शिद्दत की इंतिहां इस कदर होनी चाहिए
जैसे प्यासे को पानी की हो चाहत तो इश्क़ बनता है
जैसे प्यासे को पानी की हो चाहत तो इश्क़ बनता है
नज़र झुकी हो और लब भी जब करीब आ जाएं
फिर भी देखो उसकी इजाज़त तो इश्क़ बनता है...अहसास
फिर भी देखो उसकी इजाज़त तो इश्क़ बनता है...अहसास
No comments:
Post a Comment