Tuesday, April 6, 2010

अब नया दीपक जलाया जाएगा

अब नया दीपक जलाया जाएगा
फिर किसी से दिल लगाया जाएगा चाँद गर साथी न मेरा बन सकेसाथ सूरज का निभाया जाएगा
रस्म-ए-रुखसत को निभाने के लिए फूल आँखों का चढ़ाया जाएगा
कर भला कितना भी दुनिया में मगर मरने पे ही बुत बनाया जाएगा
आईना सूरत बदलने जब लगे ख़ुद को फिर कैसे बचाया जाएगा
मेरी अलबम कुछ करीने से लगे उनको पहलू में बिठाया जाएगा

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