Tuesday, April 6, 2010

मुझ सा ही दीवाना लगता

मुझ सा ही दीवाना लगता है
आईना पल में रोता, पल में हंसता है आईनाशायद कोई उम्मीद जगे
अब सीने मेंदरवाज़े को शब भर तकता है आईना दिलवर हैं
आ बैठे पल भर को पास मेरेइक दुल्हन जैसा अब सजता
है आईना गैरों के घर रोशन करने की है
आदत चुपचाप इसी धुन में जलता है आईनाराजा और प्यादा में अंतर करता है
जगहर इक को इक कद में रखता है
आईना आगाज़ ग़ज़ल का कर ही दो अब “AAHSAS” तुमउलझा-उलझा मुझको दिखता है आईना

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