Friday, January 31, 2020

एहसास...

जो पा लिया वो मुहब्बत ही क्या..!!

जो सुलगता रहे वही "इश्क" है..!!
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आखिर कौन हो तुम
शायद मेरा कोई वहम हो तुम
अंदर की एक पीर हो तुम
लहजे से बड़े फकीर हो तुम
अमावस में चाँद हो तुम
जैसे नदी में कोई बाँध हो तुम
आखिर कौन हो तुम ??एहसास
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दिल धोके में है या धोकेबाज दिल में....
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सुना है
प्यार में वो अपने हाथों से खिलाती है
निकाह हो जाये तो हर रोज वो खिचड़ी बनाती है
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यारों ज़िन्दगी में कितनी भी गलती करना
मगर अधूरी मोहब्बत करने की गलती मत करना...
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न मीरा की पीर हूँ, न अदभुत कबीर हूँ,
शब्दों से इश्क़ है,अश्कों से अमीर हूँ...❣️
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नाराजगी तो बस एक दिखावा है
मोहब्बत तो मैं उससे सरेआम करता हूँ! 

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प्यार की साज दे रही हु तुम्हें
दिल का राज दे रही हु तुम्हें
ये मेरी शायरी, ये गजल सब बहाने हैं
बस इसी बहाने आवाज दे रही हु तुम्हें 💞
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