कहते हैं.,
बंधनों के कई रूप होते हैं..!!#
सात फेरों का बंधन.,
जन्मों जन्मों का बंधन.,
पर एक बंधन और भी होता है.,
मन से मन का बंधन....!!#
*
रेशम सा.,
बहते नीर सा.,
हवाओं मे बहता सा.,
महकते इत्र सा.,
बांधे एक ही डोर से.,
मन से मन को....!!#
~★~
हर भीड़ मे तलाशती.,
एक दूसरे को.,
उस नाम को.,
उसके लिखे शब्दों को.,
यही तो है.,
मन से मन का बन्धन...!!#
*
देखते सुनते.,
जाने कब-कैसे.,
खुद की आत्मा .,
मन और मौन.,
मिल से जाते हैं.,
बंध से जाते हैं....!!#
~★~
और फिर
प्रेम हो जाता है.,
बस हो जाता है.,
एक दूसरे से.,
मन से मन को..!!#
*
इस बंधन मे.,
कोई अग्निसाक्षी नही.,
हवन नही.,
कोई सात वचन नही.,
पर सबसे निकट....!!#
~★~
#अलग_है_ये
#न_बांधने_की_चाहत
#न_छूटने_का_मन
#बस_ऐसा_है_ये
#मन_से_मन_का_बंधन......❤️एहसास...❤️
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