By: Ehsas...
दो हथेलियाँ जुड़ी थी एक तेरी थी एक मेरी थी..एहसास
मुस्कुराती आँखों से अफ़साना लिखा था,
शायद आपका मेरी ज़िन्दगी में आना लिखा था
तक़दीर तो देखो मेरे आँसू की उसको भी
तेरी याद मे बह जाना लिखा था
जीने का कोइ बहाना बता दो…
तेरी याद में रोज़ मरता हूँ मैं…!!
इन आँखों ने भी दम तोड़ दिया तेरे आने के एतबार में
मुझे याद है वादा फरोशी तेरी तू ये इंतज़ार याद रखना
गम ने हसने न दिया ज़माने ने रोने न दिया!
इस उलझन ने चैन से जीने न दिया
थक के जब सितारों से पनाह ली
तो तेरी याद ने सोने न दिया!
ये मत कहना कि तेरी याद से रिश्ता नहीं रखा;
मैं खुद तन्हा रहा मगर दिल को तन्हा नहीं रखा
हो जाओ गर तनहा कभी तो मेरा नाम याद रखना
मुझे याद हैं सितम तेरे , तू मेरा प्यार याद रखना।
नींद को आज भी शिकवा है मेरी आँखों से,
मैंने आने न दिया उसको तेरी याद से पहले..!!
सिसकियाँ लेता है वजूद मेरा गालिब,
नोंच नोंच कर खा गई तेरी याद मुझे।”
कुछ तो चाहत भगवान की भी होगी हमें मिलाने की...
यूंही हर वक़्त नहीं आता आपका जिक्र जुबान पर मेरे....एहसास...
नींद को आज भी शिकवा है मेरी आँखों से,
मैंने आने न दिया उसको तेरी याद से पहले..!!
सिसकियाँ लेता है वजूद मेरा गालिब,
नोंच नोंच कर खा गई तेरी याद मुझे।”
कुछ तो चाहत भगवान की भी होगी हमें मिलाने की...
यूंही हर वक़्त नहीं आता आपका जिक्र जुबान पर मेरे....एहसास...
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