मुकम्मल तो होने दो...
इश्क़ में खुद को गिरफ्तार तो होने दो,
अपने जिस्म पे मेरा इख्तियार तो होने दो,
मोहब्बत यूँ ना ठुकराओं मेरी ये नाइंसाफी है,
मुकम्मल तो होने दो, अभी बाकी है।
मेरे प्यार को जरा तैयार तो होने दो,
मेरी हदों को जरा सा पार तो होने दो,
अब तलक तुमने मेरी हद कहाँ नापी है,
मुकम्मल तो होने दो, अभी बाकी है।
ठीक से अभी आँखों को चार तो होने दो,
मेरे इश्क़ का जुनून खुद पे सवार तो होने दो,
दिल की गहराइयों में अब तलक तू कहाँ झाँकी है,
मुकम्मल तो होने दो, अभी बाकी है।
तुमहारी पलकों को मेरा इंतज़ार तो होने दो,
भीतर से हाँ बाहर से इंकार तो होने दो,
मेरी तन्हाइयों ने बस तेरी ही राह ताकी है,
मुकम्मल तो होने दो, अभी बाकी है।
अपना दिल मेरी ओर फ़रार तो होने दो,
ज़माने की नज़रों में मुझे गुनहगार तो होने दो,
इश्क़ करना ग़र है गुनाह तो माफ़ी है,
मुकम्मल तो होने दो, अभी बाकी है। एहसास
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